बिरखा लूंबी जाय साजना
बिरखा लूंबी जाय
इण रुत तो घर आय, साजना बिरखा लूंबी जाय
पप्पैयौ दिन रात पुकारै, झुरझुर रैग्यो जीव
मिळियो अैन घडी मनमेळू, पिउ पिउ करता पीव 
पीव री सजोगी पुळ पाय
स्वात री बूंदा ली सरसाय
बिरखा लूंबी जाय
पावस देख तेडियो प्रीतम, मन संदेसो मेल
आगण सूती एकलडी न, बिरछ लपेटी बेल
बेलडी फूली नही समाय
झूमती लळलळ झोला खाय
बिरखा लूंबी जाय
फूला सूं छायोडो फबतो, आयो सावण मास
धरणी रो साजन घर आयो, धरणी फिरै उदास
आसडी मनडै री उळझाय
गोरडी ऊभा ज्यू गळ जाय
बिरखा लूंबी जाय
कोयल राग मलार सुणावै, भंवर करै गुजार
विरहण जपै आय बालमा, सेजा रा सिणगार
तार हिवडै रा तूटत जाय
चादणी चादडलो मुसकाय
बिरखा लूंबी जाय
स्रोत
  • पोथी : राजस्थान के कवि ,
  • सिरजक : शक्तिदान कविया ,
  • संपादक : रावत सारस्वत ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा साहित्य संगम (अकादमी) बीकानेर ,
  • संस्करण : दूसरा संस्करण