भण्या लिख्या ते मोटा बणी गया, अनपढ़ धक्का खाअे।

नी भण्या आकी उमर, देखो भटका खाअे।

ते मोटा सोरा ने भणाव, के छोरा छोरी ने भणाव।

शंकरियो ते बाबू बणी ने पेरे सूट-बूट।

मंगरियो नीं भण्यो ते अेना करम गया फूट।

ते मोटा छोरा ने भणाव, के छोरा छोरी ने भणाव।

महेशियो ते मास्टर बणीने सारे पोगे डाके,

हरिशियो नीं भण्यो ते देखों ढांड सोप हांके।

तो मोटा सोरा ने भणाव, के छोरा छोरी ने भणाव।

परदीपयो ते अफसर बणी ने घणां नोट छापे।

राकेशियो नीं भण्यो ते देखो घेरे साणं थापे।

ते मोटा सोरा ने भणाव, के सोरा सोरी ने भणाव।

दिनेसियो ते मोटो बणी ने लायो मोटर कार।

दिलीपयो नी भण्यो ते करे काम गधेड़ा मार।

ते मोटा सोरा ने भणाव, के सोरा सोरी ने भणाव।

ते मोटा सोरा ने भणाव, के छोरा छोरी ने भणाव।

भण्या लिख्या नूं हेति जगह थाअे ऑसू नाम।

अनपढ़ गंवार बोले कोई करो अेवुं काम।

तो मोटा सोरा भणाव, के छोरा छोरी ने भणाव।

स्रोत
  • पोथी : जागती जोत (मई 2023) ,
  • सिरजक : जगदीश मुरी ,
  • संपादक : मीनाक्षी बोराणा ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी बीकानेर