भाईड़ा धत्त तेरै गी.!

अेक दूजै सूं आगै निकळां, देखो लागी रेस

टोपी फुरवीं तिलक लगावै, पल पल बदळै भेष

अे बाई सा मूंढा आं पर, शिकन आवै लेस

चंद चांदी रा टुकड़ां सट्टे गिरवी रख द्यै देश

भाईड़ा धत्त तेरै गी.!

देख गादड़ा मौज उडावै, बकरी ऊपर केस

भेड फिरै है लिए जमानत पड़ै कोई पेश

गांव - गळी अर ऊणा खूणा, फिरै मारता नेस

बीण बापड़ी बाज टूटगी, करै पदड़का भैंस

भाईड़ा धत्त तेरै गी.!

चोर फिरै है लिए डांगड़ी, अजब अचेरो सांग

मर्यादा रा हुया चीथड़ा, सगळां खोली लांग

शर्म गळाई काढ नाखदी, खूंटी दीन्हीं टांग

लोटै पाणी दोष देवां के, कुवै पड़गी भांग

भाईड़ा धत्त तेरै गी.!

पढ़्या लिख्या से काम मांगता,कुरसी बोदा चाम

चुप रेवण में जे कायरता, बोल्यां लागै डाम

कैरी सगळी बे-मौसम में, बणगी पीला आम

गळी - गळगळी गोडा पकड़्यां, ढूंढै झंडू बाम

भाईड़ा धत्त तेरै गी.!

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुनियोड़ी ,
  • सिरजक : राजूराम बिजारणियां