भभूता अबे करो अरदास भगवांन ने।

अजमल भेजियो डोलो।

रजवट नेण काच बीगड़ा।

मचगौ मरधर माय रोळो।

गायड़ मलां गमायो मांन।

यां रै छंवर मत डोलो.....।

दुरगै बिरवो झेलियो आलम।

वो रजपूत पडियो मोळो।

भभूता अबे करो अरदास भगवांन ने॥

स्रोत
  • पोथी : मध्यकालीन चारण काव्य ,
  • सिरजक : भभूतदान ,
  • संपादक : जगमोहन सिंह ,
  • प्रकाशक : मयंक प्रकाशन, जोधपुर ,
  • संस्करण : प्रथम
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