पीळै बादळ उठां पैली,

नित रा काज सरावां,

छाछ राबड़ी रो करां कलेवौ,

तन री भूख मिटावां।

मात पिता ने सीस झुकावां,

धरती निवण करां,

मांज आपरी काया ने,

तनड़ो ऊजळ करां।

बस्तौ कांधै लेय कोड सूं,

पौसाळां में जावां,

करां भणाई हेत परेम सूं,

जीवण सफळ बणावां।

गुरुदेवां री ले आसीसां,

मन में मोद मनावां,

उजळा उजळा आखर सीखां,

अंतस अलख जगावां।

बखत भणाई रो है भायां,

रोज पौसाळा जाणौ है,

पढ लिख सैसूं आगै रेणौ,

जग में नांव कमाणौ है।

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुणियोड़ी ,
  • सिरजक : श्रवण दान शून्य ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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