आभै में उडता खग थमग्या,

गेलै में बैंता पग थमग्या

हाकौ सौ फूट्यौ धरती पर,

वै कुण गमग्या, वै कुण गमग्या?

मिनख मर्यौ कै मर्यौ पांखी?

सै साथै नाड़ कियां नांखी?

वा सिर कूटै है हिंदुआंणी

वा झुर झुर रोवै तुरकांणी-

इसड़ौ कुण सजन सनेही हौ,

सगळा रा हिवड़ा डगमगग्या?

वै कुण गमग्या, वै कुण गमग्या?

मिनखां रौ रूळग्यो मिनख पणौ,

देवां री मिटगी संकळाई,

बापूजी सुरग सिधार गया,

होणी रै आड़ी के आई?

जीवूंला सौ’र पचीस बरस

बिसवास दिरा’र किंयां थगग्या?

गिगनार पड़ै लो अब नीचै,

सतवादी बचनां स्यूं डिगग्या।

वै कुण गमग्या, वै कुण गमग्या?

बापू सा मिनखा देही में,

धरती पर मिनख नहीं आया

आगै री पीढ्यां पूछैली-

के इस्या नखतरी जग जाया?

वै कुण गमग्या, वै कुण गमग्या?

ईं अेक जोत रै पळकै सूं,

इतिहास सदा नै जगमगग्या

ईं अेक मौत रै मौकै पर,

सगळां रा आंसू रळमिळग्या,

वै कुण गमग्या, वै कुण गमग्या?

स्रोत
  • पोथी : आजादी रा भागीरथ : गांधी ,
  • सिरजक : कन्हैयालाल सेठिया ,
  • संपादक : वेद व्यास , श्याम महर्षि ,
  • प्रकाशक : राष्ट्रभाषा हिंदी प्रचार समिति ,
  • संस्करण : 1
जुड़्योड़ा विसै