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अंजस सोशल मीडिया
यों कहते द्रग अरुन
बृजदासी रानी बांकावती
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यों
कहते
द्रग
अरुन
ह्वै,
कछूक
सजल
ह्वै
आय।
पुनि
प्यारी
को
हाथ
गहि,
लेत
भये
उर
लाय॥
स्रोत
पोथी
: मध्यकालीन कवयित्रियों की काव्य साधना
,
सिरजक
: बृजदासी रानी बांकावती
,
संपादक
: उषा कंवर राठौड़
,
प्रकाशक
: महाराजा मानसिंह पुस्तक प्रकाश शोध-केन्द्र, दुर्ग, जोधपुर।