यां राठौड़ां अक्खियौ, सुण लै औरँग साह।

उतन दियां अगजीत नूं, सुख धर लहौ सलाह॥

स्रोत
  • पोथी : राज रूपक ,
  • सिरजक : वीरभाण रतनू ,
  • संपादक : रामकर्ण असोपा ,
  • प्रकाशक : नागरी प्रचारिणी सभा, काशी ,
  • संस्करण : प्रथम