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साइट: परिचय
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अंजस सोशल मीडिया
वेद पार पावै नहीं
स्वामी रुघनाथदास
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वेद
पार
पावै
नहीं,
नाग
न
जाणै
भेव।
अपने
चित्त
उनमान
तू,जन
रुघा
वरणैव॥
स्रोत
पोथी
: श्री महाराज हरिदासजी की वाणी सटिप्पणी (हरीदास की परचई)
,
सिरजक
: स्वामी रुघनाथदास
,
संपादक
: मंगलदास स्वामी
,
प्रकाशक
: निखिल भारतीय निरंजनी महासभा,दादू महाविद्यालय मोती डूंगरी रोड़, जयपुर
,
संस्करण
: प्रथम