जोर भयै महि म्लेच्छ जब, तब हरि जानि तुरंत।

आप धरै अवतार दस, आनन असुरनि अंत॥

स्रोत
  • पोथी : मान-राजविलास (राजविलास) ,
  • सिरजक : मानसिंह ,
  • संपादक : मोतीलाल मेनारिया ,
  • प्रकाशक : नागरीप्रचारिणी सभा, काशी
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