उरज उतंगां ऊपरै तंग कंचुकी तांण।

कंचन रस भरिया जरकस ढकिया जांण॥

स्रोत
  • पोथी : अलवर री खटरितु झमाल ,
  • सिरजक : शिवबक्ष पाल्हावत ,
  • संपादक : नारायण सिंह भाटी ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी शोध संस्थान, जोधपुर