सिख कीनौ माछंद सिख, जायल पत नूं जाय।
घाव लगै नह तूज घट, पीठ फरै नह काय॥
वैर सवायौ वाळ सूं, सुण सिख सनै-सनैह।
रण तो हाथां रैवसी, बूड़ौ पाल बिनैह॥
रण सारंग विसरांमियौ, नह बूड़ौ नमियौह।
गोळ तणौ कहियौ गुणी, संपूरण समियौह॥