साध साध सब कोउ कहै, दुरलभ साधू सेव।

जब संगति ह्वै साध की, तब पावै सब भेव॥

स्रोत
  • पोथी : दया बोध ,
  • सिरजक : दयाबाई ,
  • प्रकाशक : बेलडियर प्रेस , प्रयाग