सब परबत स्याही करूं, घोलूं समुंदर जाय।

धरती का कागद करूं, गुरु अस्तुति समाय॥

स्रोत
  • पोथी : सहजोबाई की बाणी - सहज प्रकाश (हरि तें गुरु की महिमा अंग से) ,
  • सिरजक : सहजो बाई ,
  • प्रकाशक : बेलडियर प्रेस, प्रयाग ,
  • संस्करण : सातवां संस्करण