1
अब आळी औलाद नै मिलै कोनी ल्हासी।
कूकर बणै जवान ऐ, लूखी रोटी खासी॥
2
रोज बणावै राबड़ी, पूरो राजस्थान।
जाणै ईं नै नांव स्यूं, पूरो हिंदुस्तान॥
3
कोरी होवै हांडकी, बीं में ठंडी रैवै राब।
सारै दिन पीवो चाये, होवै कोनी खराब॥
4
राबड़ी में टैस्ट हुवै, सुवाद भोत लागै।
पीयां पछै नीन आवै, जगायो कोनी जागै॥
5
सै'त सुधारै राबड़ी, मेटै सगळा खोट।
ईं नै इस्तेमाल करो, मांह गेरगे रोट॥
6
भरगे थाळ पी ले तूं, ओ गुण करैगो राबड़ो।
मां' मरोड़ले रोट तूं, भर्यो पड़्यो है छाबड़ो॥
7
पी ले धापगे राबड़ी, लागै कोनी तावड़ो।
आ चीज है काजबीज, पीणी चावै बटाऊड़ो॥
8
खाटो भेळै बूढळी, बीं गो बणै संगीत।
राबड़ी रै कोड में, गावण लागज्यै गीत॥
9
लूण गेरगे ल्हासी पीयां, आयबो करै स्यांत।
टैस्ट बणै टोपगो, पाटण लागज्यै आंत॥
10
चरकी रोटी चीणां गी, सागै मीठा प्याज।
जाड़ा नीचै बाजबो करै, फेर सूणो-सूणो साज॥