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साइट: परिचय
संस्थापक: परिचय
अंजस सोशल मीडिया
रह्यो हित गण रैंत रौ
दयालदास सिंढायच
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रह्यो
हित
गण
रैंत
रौ,
लाग
लपट
सह
तोड़।
नान्हां
मिनखां
हित
लड्यौ,
मुलक
तणौ
सिरमोड़॥
स्रोत
पोथी
: भारतीय साहित्य रा निरमाता- सिंढायच दयालदास
,
सिरजक
: दयालदास सिंढायच
,
संपादक
: गिरिजाशंकर शर्मा
,
प्रकाशक
: साहित्य अकादमी
,
संस्करण
: प्रथम