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अंजस सोशल मीडिया
प्रेम दीवाने जो भए
सहजो बाई
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प्रेम
दीवाने
जो
भए,
मन
भयो
चकनाचूर।
छकें
रहैं
घूमत
रहैं,
सहजो
देखि
हजूर॥
स्रोत
पोथी
: सहजोबाई की बाणी - सहज प्रकाश (प्रेम का अंग से)
,
सिरजक
: सहजो बाई
,
प्रकाशक
: बेलडियर प्रेस, प्रयाग
,
संस्करण
: सातवां संस्करण