सरस काव्य रचना रचौं, खल जन सुनि हसंत।

जैसे सिंधुर देखि मग, स्वान सुभाव भुसंत॥

स्रोत
  • पोथी : पृथ्वीराज रासो ,
  • सिरजक : चंद बरदाई ,
  • संपादक : श्रीकृष्ण शर्मा ,
  • प्रकाशक : साहित्यागार, जयपुर ,
  • संस्करण : प्रथम
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