पाथर मूरत मिनदरां, जाय’र खावै धोक।

आतम मिंदर मायनै, पूज जाय पर लोक॥

मनकै मतै चालणो मन चंचळ चित चोर।

बिना दावणै ऊछरै, जावै ठोर कुठोर॥

भाखर लूंठा मोकळा, कन्नै कांकर भाठ।

ऊंचापद अति सोवणा, झूठा मिलसी ठाठ॥

पग में काठी मोचड़ी, घर करड़ो ब्योहार।

थोड़ा घणा ढीला करो, नीतर पड़ै पार॥

बहु योनी भटक्यां पछै, पाई मिनखा जूण।

फुरसत बैठ उजाळ लै, मत उडीकै सूण॥

सियाळै सिगड़ी भली, उन्याळै कोरो मांट।

चौमासै टपरी भली, बणै लाट सा ठाठ॥

जलमै जणा सै अेकसा, पाछै धरम विशेष।

दया दान सै धरम में, झूठा करै कळेस॥

सदा कठै घी चौपड़ी, बण्यां रोज मेहमान।

पून भेळी पून बणै, हो सावधान गुमान॥

पाणी गेर्‌यां आग में, बुझणै का आसार।

पूळो गेरे लाय में, सठ राखसी ओतार॥

स्रोत
  • पोथी : भोळावण ,
  • सिरजक : गुमानसिंह शेखावत ,
  • प्रकाशक : उदय प्रकाशन, धमोरा, झुंझुनूं
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