निरमळ नीर गहीर अत, रतन अमोलख खांण।
उदध तणा गुण हूं चवूं, मत्त प्रमांण वखांण॥
पार न पावै वेद पुन, वडोह गहर गंभीर।
उदध सरीसो अवर नहिं, अत बळवंत सधीर॥
सायर मोती नीपजै, हीरा हुवै अमोल।
पना प्रवाळा लाल नग, सोहत सरस सतोल॥
प्रघळ फिरोजां नीलवी, अर पुखराज अनंत।
मांहै मांणक मोकळा, कवण बखांण करंत॥
कवण बखांण तो करै, तूं समंद नदिनाथ।
तूं सारां ही ऊपरै, तो ऊपर रघुनाथ॥
तो हूंता चवदै रतन, मथ काढ़ै श्रीरांम।
ताको अब बरणाव कर, कहु जुवा जुवा नांम॥
लिखमी कौस्तकमण अवर, पारजात कळव्रच्छ।
सुरा धनंतर चंद्रमा, कांमधेन अति अच्छ॥
ऐरापत देवांगना, उचीस्त्रवा सुअस्स।
सुधा धनख अरु संख विख, चवदै रतन सरस्स॥