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निरधन नीची नाड़ है
कविता किरण
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निरधन
नीची
नाड़
है,
का
सेठां
रो
सत्कार।
सूरज
रै
सामै
सदा,
दिवळो
है
लाचार॥
स्रोत
पोथी
: सूळी ऊपर सेज
,
सिरजक
: कविता किरण
,
प्रकाशक
: बोधि प्रकाशन