मद पीणों खोटो मिनख, तन धन‌ दोनूं खाय।

एकर गयी जे आबरू, और पाछी आय॥

सुख जीवन संपूर्ण, त्यागे संतति कारणे।

जननी जेड़ी जूण, रची दूजी रामजी॥

पल में छोड़े प्रीत, सांच बचन तोड़े सदा।

मतलब वाळा मीत, मत ना कीजे माधवा॥

मीठी मनवारां करे , आनद अंतस आय।

बातां मांडे उण बखत, चौखी लागे चाय॥

साथी जो रै साथ, रूठे अर रूठा रहे।

बोले किणनें बात, मनड़े वाळी माधवा॥

अमर राखणं नाम नें, करले चौखा काम।

मरणों जीणों जगत में, (ह) राखणं वाळो राम॥

शील राखो सभाव में, सब ने दो सम्मान।

राजी रैवो अरु रखो , मुखड़ा पर मुसकान॥

मांटी रा हां मांडणां, साखी सो संसार।

मिलणों मांटी मांहिने, गरबे मति गंवार॥

करे बड़ाई हर कोइ, (न)लगे रोग लवलेस।

सब ने राखण प्रेम सूं, हसता रहो हमेश॥

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुणियोड़ी ,
  • सिरजक : कुलदीप सिंह इण्डाली ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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