नमै वृछ फलवान जो, नमै पुरख गुणवंत।

सूको काठ अग्यान नर, टूटि जात नमंत॥

स्रोत
  • पोथी : भाषा चाणक्य (उम्मेद ग्रंथावली) ,
  • सिरजक : उम्मेदराम बारहठ ,
  • संपादक : मंजुला बारैठ ,
  • प्रकाशक : कलासन प्रकाशन, बीकानेर। ,
  • संस्करण : प्रथम