नळ बैठ्यो ढींकड़ो, कर रहयो जळ की आस।

जळ जीवन की जेवड़ी, छोटी हो रही रास॥

स्रोत
  • पोथी : आंथ्योई नहीं दिन हाल ,
  • सिरजक : अम्बिका दत्त ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन