मोह माया का फंद में, मत कर बेला-ताप।

साचों राम को नाम है वो ही ज्यासी साथ॥

मोटी रकम कमायली, धन है अपरम्पार।

बिन माँ की आसीसड़ी, काया बलती जाय॥

अपनी माँ छोड़कर, दूजा की ध्यावै।

नहीं मिलेगो मोक्ष तो, मन यूं क्यूं भटकावै॥

माँ की ममता छोड़कर, धन की खाली आस।

बिना आसीसा माय की, पूँजी आई रास॥

बाँध पोट आसीस की, चाल्या जा दिन रात।

लोग सरायां जावसी, दिन हो चाहे रात॥

ना लिखी है कर्म में, माया तब आय।

सोना की मोरां भली, बे बीछू बण जाय॥

धूप ध्यान तुलसी लियां, पूजा में तल्लीन।

मन को मैला धोयीयो, तू ज्यूं को ज्यूं मल्लीन॥

प्यारो कोनी चामड़ो, प्यारो लागै काम।

रंग रूप है मोकलो, तो भी तू निस्काम॥

राज कर्‌यो हो रावलै, मोज महल के माँय।

नाम लियौ नी राम को, अन्त समय पछताय॥

हिवड़ा रा पट खोल दे, बैठा ले रे राम।

झूठो सुख झूठी माया, साचों राम को नाम॥

राम नाम घट उतरयो, घट-घट कर्‌यो निवास।

राम बस्यो घट मायने, अब कोनी दूजी आस॥

जै तन सुख सूं जीवणों, तो बैठ समाधी माय।

घट राखीजे राम ने, नजर चरण के माय॥

स्रोत
  • पोथी : राजस्थानी गीत ,
  • सिरजक : आशा रानी लखोटिया ,
  • प्रकाशक : आशा पब्लिशिंग हाउस
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