मरद मांन मकवांण रा, भरीया हिय में भाव।

आवण बारै ऊबकै, सुरसत उकत सुझाव॥

मेरा ह्रदय वीरवर झाला मान के भावों से भरा है- अर्थात् उसकी वीरता, धीरता, वदान्यता आदि उत्कृष्ट गुणों के बारे में उठने वाले विचारों से भरा है- जो बड़े ही वेग-पूर्वक उफन कर बाहर आना चाहते है; उन्हें भली भाँति अभिव्यक्त करने के लिए हे माता सरस्वती, आप मुझे समुचित उक्ति सामर्थ्य प्रदान करें॥

स्रोत
  • पोथी : नारायण-विनोद ,
  • सिरजक : नारायण सिंह जोधा