मन में बिरह जगाय दे, कोयलड़ी री कूक।

खीरा माथै राख ही, सावण मारी फूंक॥

स्रोत
  • पोथी : सूळी ऊपर सेज ,
  • सिरजक : कविता किरण ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन