वज्र नाभ कौं मधुपुरी, अभिमान-सुत पुर नाग।

दै कोटिन निधि द्विजन कौं, चले तुहिन बन भाग॥

स्रोत
  • पोथी : पाण्डव यशेन्दु चन्द्रिका ,
  • सिरजक : स्वामी स्वरूपदास देथा ,
  • संपादक : चन्द्र प्रकाश देवल ,
  • प्रकाशक : साहित्य अकादमी, नई दिल्ली। ,
  • संस्करण : तृतीय