साहिब कजि सिणगारि, तेजी कीयौ मुरातिब।

आगळि छोडै आणियौ, चांटो चरुआदारि॥1॥

वाजि चहूं वळाउ, फिरै कळाटू फेरियौ।

मेहां आगळ मोरड़ै, कीधौ जांणि कळाउ॥2॥

असिमर फर वप ओपि, कड़ि कूंपै जमदढ कसी।

कूंत कमाण कळासिया, किलंबा ऊपरि कोपि॥3॥

मांझी कूंपो मांहि, खांति हुऔ लाडो खड़ै।

लांबै पथि नेड़ै लगनि, जान जांणै जाहि॥4॥

सींधू धमळ सुणाइ, पुड़ ग्रीधण पांखां कियै।

परणै तिणि परि जाइ, मेछां घड़ महिराजउत॥5॥

अणी तजे आखेय, लोही कूंकूं लाइजै।

तण बाधावै तेय, मौड़ बंधौ महिराजउत॥6॥

बांकिम भरियौ बींद, चौंरी आरेयणि चढै।

अरि छेदै अण नींद, मछरैतो महिराजउत॥7॥

घड़ां-घड़ां तो घाइ, खिसै नथी पैला खिसै।

पांचौ तिणि परि जाइ, मेर जांणै मांडियौ॥8॥

ध्रू अरि पाड़ै धारि, धड़ पोइण दळि पग धरै।

हांस तणी गति हालियौ, बीदौ वीरत वारि॥9॥

सौरंभ ल्यै अरि सांस, किलम घड़ां पैठो कमळि।

भमरो जैतो भणंकियौ, ऊदावत अस हास॥10॥

स्रोत
  • पोथी : प्राचीन राजस्थानी काव्य ,
  • सिरजक : डूंगरसी रतनू ,
  • संपादक : मनोहर शर्मा ,
  • प्रकाशक : साहित्य अकादेमी ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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