हाथां में माळा लियां, ऊभौ कान्हो गैल।
कद आवैगी राधक्या, कद होवैगो मैल॥
ऐक हाथ में बांसरी, माळा दूजै हाथ।
कुंजा में जा कै छप्यो, राधा जी को नाथ॥
कांधे पै माळा पड़ी, घूंघर हाळा बाळ।
मोर मुकट माथै सजे, बैरी को है काळ॥
फूलां की माळा गुँथी, मल'र भायल्यां आज।
कानूड़ा नै सुमरता, भूल्या संदा काज॥
कान्हा की बंसी बजी, बज ग्या मनड़ै तार।
छाछ बलोती गोपियां, देखो भागी बार॥
कान्हा की अद्भुत छबी, घणो सुहाणो रूप।
गोप्यां झूमै प्रेम सूं, कान्हो अस्यो अनूप॥
बागां में झूला पड्या, छै हरयाली तीज।
पाणी का छांटा पड़ै, मनड़ौ जावै भीज॥
मात जसोदा निरखती, कान्हो खेलै खेल।
अठी उठी भागै फरै, घणी बतावै सैल॥
माखन की चोरी करै, ग्वाळ बाळ के संग।
धन धन गोपी भाग छै, पुळकै वांका अंग॥
माखन की चोरी करै, मटक्यां फोड़े रोज।
माता मलै उलाहणा, कान्हो अपणी मौज॥
जमना जी के तीर पै, कान्हो छैड़ै तान।
राधाजी छै रोस में, बैठ्या करके मान॥
मुरली बज री जोर सूं, राधा छै बैचैन।
कदे मिलेगो सांवरो मनड़ै आवै चैन॥
नंद जसोदा खुस घणा, नरखै अपणो लाल।
मोर मुकट माथै सजै, सजर्यो टीको भाल॥
छाछ बलोती गोपियां, कान्हो करै उटंग।
फोड़े वांकी माथण्यां, नत दिखलावै रंग॥
राधा संग सब गोप्या, बैठी बागां बीच।
मनड़ै में घनस्याम छै, सुमरै आँख्या मीच॥
गोकल मथरा धूम छै, जनम्यो कान्हो आज।
सब घर में आणन्द छै, मनड़ै बजर्या साज॥
कान्हा की बंसी बजी, मन होग्यो बैचैन।
जद मल जावै सांवरो, मनड़ै आवै चैन॥
राधा लारै कान्हं छ, खूब रचावै रास।
धुन सुणता इ बंसी की, गोप्यां आवै पास॥
माखन की चोरी करै, खावै अर ढुळकाय।
बरजै नत कै गोपियां, कांई करां उपाय॥
राधा लार कानूड़ौ, झूलो झूलै आज।
गोप गोपियां हरख र् या, भूल्या संदा काज॥
ढुकळ्या चालै कानजी, मां जसुमति हरषाय।
अठी उठी भागै फरै, साबर कोनी आय॥
गोप्यां देय उलाहणा, कान्हो करर्यो तंग।
माखन की चोर् या करै, ग्वाळबाळ है संग॥
माँ जसुमति बरज्यो घणो, माटी मत तू खाय।
मानै कोनी कानजी, फर फर आँगण जाय॥
जसोदा माँ असीस दे, खुस रे म्हारो लाल।
खूब वारणा ले रही, कान्हो घणो निहाल॥
गोपी ढूंढे कानजी, कठी छप्या है जाय।
फोड़ी म्हारी माथणी, ऊधम घणी मचाय॥
गोप्यां घणी उदास छै, ऊधो जी समझाय।
मानै कोनी गोपियां, ग्यान धर्यो रे जाय॥
मत समझाओ उधो जी, कान्हो मन को चैन।
कान्हा जद सूं छोड़ ग्यो, मनड़ौ है बैचैन॥
नैणा सूं आंसू बहै, गोप्यां घणी उदास।
राधा बैठी अनमनी, कान्हो कौने पास॥
गाय चरावै कानजी, ग्वाल बाळ है संग।
मीठी बाजै बांसरी, फड़कै वांका अंग॥