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किस विधि रीझत हों प्रभु
दयाबाई
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किस
विधि
रीझत
हों
प्रभु,
का
कहि
टेरूं
नाथ।
लहर
मेहर
जब
हीं
करो,
तब
हीं
होऊं
सनाथ॥
स्रोत
पोथी
: दया बोध
,
सिरजक
: दयाबाई
,
प्रकाशक
: बेलडियर प्रेस , प्रयाग