काल कुहाड़ा हाथि ले, काटण लागा ढाय।

ऐसा यहु संसार है, डाल मूल ले जाय॥

स्रोत
  • पोथी : गुणगंजनामा (सगुना निगुना कृतध्न अंग से) ,
  • सिरजक : जगन्नाथदास ,
  • संपादक : ब्रजेन्द्र कुमार सिंहल ,
  • प्रकाशक : श्री दादू साहित्य- शोध – संस्थान ,
  • संस्करण : प्रथम