जुगां तो जस जायसी, सच दाखूं सामौर।

चूक्यो नहं कुळ चाल तूं, मुलक तणां सिरमौर॥

स्रोत
  • पोथी : भारतीय साहित्य रा निरमाता- सिंढायच दयालदास ,
  • सिरजक : दयालदास सिंढायच ,
  • संपादक : गिरिजाशंकर शर्मा ,
  • प्रकाशक : साहित्य अकादमी ,
  • संस्करण : प्रथम