जगत सनेही जीव है, राम सनेही साध।

तन मन धन तजि हरि भजैं , जिनका मता अगाध॥

स्रोत
  • पोथी : दया बोध ,
  • सिरजक : दयाबाई ,
  • प्रकाशक : बेलडियर प्रेस , प्रयाग