जग सूं मोह ममता सदा, चौरासी भुगताय।

ममता राख्या राम सूं, भव सागर तर जाय॥

स्रोत
  • पोथी : सूळी ऊपर सेज ,
  • सिरजक : कविता किरण ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन