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जग सूं मो'ममता सदा
कविता किरण
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जग
सूं
मोह
ममता
सदा,
चौरासी
भुगताय।
ममता
राख्या
राम
सूं,
भव
सागर
तर
जाय॥
स्रोत
पोथी
: सूळी ऊपर सेज
,
सिरजक
: कविता किरण
,
प्रकाशक
: बोधि प्रकाशन