जग प्रजाळतोजाण, अघ दावानळ ऊपरा।

रचियो रोहड़ राण, समंद हरी-रस सूरवत॥

स्रोत
  • पोथी : गाडण केसोदास ,
  • सिरजक : गाडण केसोदास ,
  • संपादक : बद्रीदान गाडण ,
  • प्रकाशक : साहित्य अकादमी, नई दिल्ली। ,
  • संस्करण : प्रथम