जग में पीड़ा मोकळी, दाता क्यूं दुःख देय।

दरखत होग्या ठूंठ, अब तो सुध लेय॥

स्रोत
  • पोथी : सूळी ऊपर सेज ,
  • सिरजक : कविता किरण ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन