जब थाने जमरूद भौ, जसवँत को अवसान।

आवन मरुधर देश को, कीनो भटन पयान॥

सब रानी जन के सहित, पहुंचे अटक रठोर।

अति उदास मन दल अखिल, कछुक सहमि, कछु जोर॥

अटक पार उतरन समय, रोके गए कबन्ध।

पै गिन्यो दुरगेश ने, यह शाही प्रतिबंध॥

पास पोर्ट वा समय हू, प्रचलित जान्यो जात।

पै ताको प्रतिबंध इम, शूरन नांहि सुहात॥

अवरोधक जन हनन करि, राष्ट्रकूट सरदार।

सही सलामत कटक सह, पहुंचे तटनी पार॥

कछु दिन समय बिताय कर, भट आए लाहोर।

नृप अजीत को जन्म भौ, पूर्व पुण्य के जोर॥

चैत्र कृष्ण पख चतुरथी, सत्रह सौ पैंतीस।

राट्ठौरन अवलम्ब हित, कृपा कीन्ह जगदीश॥

कछुक काल पीछे कमध, पहुंचे मुगलसराय।

अरु अरजी अवरंग पै, लिख कर दई पठाय॥

सुन अरजी पतशाह ने, अपने सहज स्वाभव।

प्रकट कियउ पढ़ि सायरी, जैसो हार्दिक भाव॥

स्रोत
  • पोथी : दुर्गादास चरित्र ,
  • सिरजक : केसरी सिंह बारहठ ,
  • संपादक : जसवंत सिंह ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रन्थागार, जोधपुर ,
  • संस्करण : द्वितीय