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अंजस सोशल मीडिया
इक तरु सूके की अगनि
उम्मेदराम बारहठ
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इक
तरु
सूके
की
अगनि,
बारत
सब
बनराय।
यूं
ही
पूत
कपूत
तें,
वंस
समूल
नसाय॥
स्रोत
पोथी
: भाषा चाणक्य (उम्मेद ग्रंथावली)
,
सिरजक
: उम्मेदराम बारहठ
,
संपादक
: मंजुला बारैठ
,
प्रकाशक
: कलासन प्रकाशन, बीकानेर।
,
संस्करण
: प्रथम