ग्यानी तै गुण सिसटि, घरि आयो गाहक लहूं।

किसन भगत कील्हौ कहै, सांमीजी पाप पुंन लेखो करूं॥

स्रोत
  • पोथी : पोथो ग्रंथ ज्ञान ,
  • सिरजक : कील्हजी चारण ,
  • संपादक : कृष्णानंद आचार्य ,
  • प्रकाशक : जांभाणी साहित्य अकादमी, बीकानेर ,
  • संस्करण : प्रथम