ग्राह वसै जळ में सदा, अपणौ आस्त्रम जांण।
निज हद को आवण न दै, पौरस दाखे पांण॥
मोटा छोटा माछळा, आप भखै अणपार।
विट वाची वांकम धणी, आप धरे अहंकार॥
वणै वदन वाराह सै, गात मेर चै मांन।
पौरस बोहळौ पिंड में, जांणत सकळ जिहांन॥
मांनूं नैंन मसाल सा, सांम निसा सी देह।
तांतू जम-पासी जिसा, अति बळवंत अछेट॥
अतुळीबळ आणंद में, सूतौ सहज सुभाय।
मन चिंता व्यापै नहीं, सुख तै निद्रा आय॥