द्वारासुकरि दुझाळि, कमधज तेड़ केहरी।

पिड़ि लड़िस्या पूछियौ, चांक चढिस्या चालि॥

यां कहियौ ओंगाढ, सुकेहरी दारासुकर।

खळ दळ माथै खेरस्यां, विधि वीजुजळी वाढ़॥

सुईव दिय सिरपाव, दूणां वाधारा दिया।

आयौ डेरां ऊपरां, सक भूपाळ सुजाव॥

अड़िया सिर असमांन, भालिम चा चडिया भरण।

आज केहरि ऊदातां, वाधारे वंसि वांन॥

असि जमदढ़ केवाण, सावळि वाण संवाहिया।

घण घाये वरसी घड़ा, जुध करसी जमरांण॥

तेड़ा भड़ि तियारी, बीजड़ हथ भाई बंधा।

असि आगै अवधारि, तह पांडव कसि दुहतंगां॥

कमधज चडियौ केहरी, वेगौ विघन विचारि।

खैंगां सोहड़ां खूर, विना सिलह रचिया विघन॥

केहरी साहिजादा कनै, सजियां आयौ सूर।

खेड़ेचै करि खीज, वीरारस खच वावर।

कमळि खिंवै दळि दळि करग, वादळ वादळ बीज॥

चाचर खागां चूरि, भालां पंजर भरियौ।

केहरि गौ माळां कळहि, सिरि गज ढालां सूरि॥

खेलंतै खत्र खेल, वीरत ताता वाहिया।

केहरि चालेगौ किलंब, समहरि खागां सेल॥

विढि़ चढि़ वकवादि, सु केहरी भालां सरां।

घण घाऐ वप घेरियौ, मुंह फेरियौ मुरादि॥

सुं सांचा सुरताणि, पातलहर कर परखिया।

हंस वचियौ लिखियौ हुवै, पग छूटा पहठाणि॥

केहरी आगै कांमि, सांम तणौ रहियौ समरि।

जैमल उजवाळै जसौ, द्वारा सुछळि दुगांमि॥

किरतौ विसन लंकाळ, सुत दलपति नरपाळ सुत।

मेड़तिया पह छळि मुआ, भेळा सुत भूपाळ॥

पमंग झड़प खगपुर, वाजंतां नह गयौ विमुहि।

कण रहियौ जुध केहरि, दळ ऊडां तांडूर॥

अछरां रूपि अगाहि, नर नाइक रीधौ नहीं।

केहरि हरि भेळौ कमंध, जोति समाणौ जाहि॥

स्रोत
  • पोथी : मरु भारती ,
  • सिरजक : नाथा सांदू ,
  • संपादक : सौभाग्यसिंह शेखावत ,
  • संस्करण : प्रथम