घोड़ो हुवैज काठ रो, पिंड कीजै पाखाण।

लोह तणा हुय लूगड़ा, जोईजै जेसांण॥

स्रोत
  • पोथी : राजस्थानी निबंध-माळा ,
  • सिरजक : वीरदास बीठू ,
  • संपादक : मनोहर शर्मा ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रंथागार ,
  • संस्करण : द्वितीय संस्करण