गरीब, काया नगरी काल है, बिरहा करै विचार।

चलि बिरहनि ब्रह्मलोक कूं, मैं बिरहा लिनहार॥

स्रोत
  • पोथी : श्री सतगुरु ग्रंथ साहिब (बिरह का अंग) ,
  • सिरजक : गरीबदास ,
  • संपादक : आशीष कुमार पाण्डेय ,
  • प्रकाशक : लोकनाथ प्रकाशन , वाराणसी, उत्तर प्रदेश ,
  • संस्करण : प्रथम