गरीब, ऐसा सतगुरु हम मिल्या, सुंन विदेशी आप।

रोम रोम प्रकाश है, दीन्हा अजपा जाप।।

स्रोत
  • पोथी : श्री सतगुरु ग्रंथ साहिब (गुरुदेव का अंग) ,
  • सिरजक : गरीबदास ,
  • संपादक : आशीष कुमार पाण्डेय ,
  • प्रकाशक : लोकनाथ प्रकाशन , वाराणसी, उत्तर प्रदेश ,
  • संस्करण : प्रथम