शुंडादंड उदंड अति, चंदकला खुलि साथ।

बिघनहरन मंगलकरन, जै गजमुख गननाथ॥

स्रोत
  • पोथी : नेहतरंग ,
  • सिरजक : बुधसिंह हाङा ,
  • संपादक : श्री रामप्रसाद दाधीच ,
  • प्रकाशक : संचालक, राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर (राजस्थान )
जुड़्योड़ा विसै