बदी टाळो काल पर, सद्काम करो तुरंत।
कुण जाणै मौको मिलै, मौसम तुरंत फिरतं॥
नेकी सूं नहीं चकूणो, बदी सूं रहणों दूर।
नेकी पार उतारसी, बदी घटावै नूर॥
नेक काम में देर क्यों, देर करो बद काम।
नेक काम में देर कर्यां, सिर चढ़ै बद काम॥
के मौसम देखै बावळा, करणो है सो कर।
काल काल करतां थकां, रावण पछतावै मर॥
प्यार करो तो इसो करो, लाभ नभै नै छोड़।
टूट्यां तो फिर गांठ पड़ै, गुमान संभाळो दौड़॥
तेरो मेरा अठै रह, सागै कुछना जाय।
लेखो ले यमराज जद, पिंड कियां छुड़ाय॥
दूजै सुख हरखो सदा, दूजै दुःख में दुःख।
बै मिनख घण खोड़ला, दूजै सुख में दुःख॥
बिद्या बांटे और बढ़ै, दुःख बांटे घट जाय।
सुख बांटे बढ़ जाय सुख, बांट बांट सुख पाय॥
बैरंग सूं बैरंग मिलै, करै बैरंग बात।
बात बात में चलै, कै घूंसा कै लात॥
ज्ञानी सूं ज्ञानी मिलै, करै ज्ञान की बात।
बातां बातां में गुणै, सीखै बातां सात॥
अन्न आब अरू आबरू, घर में इंधन आग।
पांच अगाऊ राखणी, गुमान बेगो जाग॥
अवसर पाछै बोलणो, बिना तोल की बात।
बिना पूछ्यां बतावणो, करै जात नै घात॥
कांटा बोया खेत में, उपजे बेहद सूल।
प्रेम बीज बोवो कनी, उपजै फूल ही फूल॥
सस्तो होग्यो मानखो, महंगो होग्यो चून।
तातो तो पाणी हुयो, ठण्डो पड़ग्यो खून॥
काबा काशी, तीरथ करिया, खर्च कियो अपार।
बूढ़ा बूढ़ी घर में बैठ्या, सारा तीरथ निसार॥
पाप धोण तीरथ कर् या, काबा काशी हरद्वार।
दोय तीरथ घर में पड़्या, पूछै न कोई जार॥
मूरख अकड़ै ज्ञान पा, ज्ञानी निवै जमीन।
आम झुकै आमी लाग्यां, इरंड अकड़ में लीन॥
अठै को अठै ही मिलै, पाप करम को दण्ड।
शाबासी भी अठै मिलै, उतरै अठै घमण्ड॥
चीला चूक्यां चाल घटै, घटै मिनख की साख।
चालो आगै देख कर, कोई न उठावै आंख॥
खाडा खोदै भायला, जासी ऊपर साथ।
भलो कर्यां ही भलो मिलै, देखै ऊपर नाथ॥
दूजै की क्यों हड़परियो, कर तेरी संतोस।
लेखो लेसी रामजी, उड़ ज्यासी सै होस॥
मैं, मैं, मैं मय जगत हुयो, मैं मैं भरयो अभिमान।
मैं न मारो भायला, जणा मिलै भगवान॥
माळा मनका मोकळा, फेर फेर अरू फेर।
जद तक अंतस ना फिरै, फेर फेर अरू फेर॥
नर सूं नारायण बणै, नारायण मन मोय।
प्रीत जगा मन आत्मा, नारायण नर होय॥
मैं तनै बोलूं भायला, पांती आयो खाय।
बेसी खायां अजक हुवै, पेट मरोड़ा खाय॥
सांस निकळता मानवी, आवै सगळी याद।
खाड्डा खोदया रास्तै, जणा हुयो बरबाद॥
कटखाणै सूं दोस्ती, कदै न करणी जार।
कुण जाणै कद काटलै, कदैई पाछै आर॥
जरा आय जर जर हुयो, गर्व न छोड़्यो साथ।
गुमान पड़्या स्वभावड़ा, मरयां जासी साथ॥
हार हुवै तो हार सह, जीत हुवै तो जीत।
हार सूं कुछ सीख कर, अगली बारी जीत॥
दीवाली में अली रहै, रमजान में राम।
अली राम दो आस्था, ईश अेक दो नाम॥
प्रेम प्रीति जिणसूं करै, फिर फिर देखण आव।
रवि, पृथ्वी, चंदा फिरै, नित देखै नित आव॥
धन को गर्व ना कीजिए, राखो मान सम्मान।
आती जाती छावळी, कद त्यागै गुमान॥
कीड़ी मकोड़ा दूजां गिणै, खुद ही खुद नै मान।
ना खुद जाणै के भखै, जिण भर्यो गुमान॥
बिना हाड की जीभड़ी, बोलै ओळ पंचोळ।
बेकाबू होय कराय दे, मिनख डोळबेडोळ॥
जिन्दा नै पूछै नहीं, मरयां देय सम्मान।
उछळ कूद मोसर करै, धिक बानै गुमान॥
अज्ञानी बेगो ऊकळै, बिना समझ मरजाद।
समझदार सांची कह्वै, गुमान सोचणै बाद॥
उथळै पाणी मिलै नहीं, ऊंडै पाणी पैठ।
उथळै पाथर कांकरा, ऊंडै मोती ठेठ॥
खोसेड़ो धन ना पचै, खाय खाय पछताय।
खातां तो मीठौ लगै, पाछै अक्कल आय॥
ठंडो कर दै काळजो, मीठा बोलो यारो।
कड़वो बोलण छोड़ द्यो, सौ चढावै पारो॥
दांत कह्यो जद जीभ नै, क्यों अन्दर आय।
मैं काटूंला जोर सूं, बैठ ना अंदर जाय॥
मैं हूं कोमल कामिनी, तूं है चौकीदार।
एक बोली कै बोलतां, बत्तीसों आवै बा’र॥