धण - कागद लिख कंटाळगी, पिया राखै न मान।
अबकै आजा आलिजा, नीतर निकळै प्राण॥
धणी - कंटाळै मत कांमणी, कागद मिल्यो आज।
झरतां आंसू बांचियो, बेगो पूगूं भाज॥
धण - गळ-गळ जावै हाडका, नाड़ां दीखै नाय।
प्रीतम रोग पांगरियो, अवेखो झट आय॥
धणी - गाळो मतना हाडका, जीमो जीमण धाप।
आधै चैत ज आवसूं, ओखद देवूं आप॥
धणी - होळी भल मंगळीजै, लागै म्हारै झाळ।
पिव मोरा पास नहीं, जूझूं अत जंजाळ॥
धणी - छोडो गोरी जूझणो, हियै राखो विस्वास।
हिळमिळ रमसां हेत सूं, होळी बणसी खास॥
धण - चहकी चिड़िया चौक में, बंध्या म्हारा बैण।
पंख बिहूणी प्रीतड़ी, निबळा हूया नैण॥
धणी - निबळी हू मत नारड़ी, आंख्या राख उघाड़।
पंख लगावूं प्रीत रा, आभै देत उडाय॥
धण - ओढूं किकर फागणियो, लेवूं कीकर लूर।
पिव परदेसां हालिया, बिलखै थांरी हूर॥
धणी - बिलख मती थूं बावळी, धीजो थोड़ो धार।
फूठर लावूं फागणियो, ओढो थे घरनार॥