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साइट: परिचय
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अंजस सोशल मीडिया
दरी में तो बहू दिन बसे
गवरी बाई
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दरी
में
तो
बहू
दिन
बसे,
अहि
उंदर
परमान।
दरी
समारे
न
मिले,
सुनियो
संत
सुजान॥
स्रोत
पोथी
: गवरी बाई (भारतीय साहित्य रा निरमाता)
,
सिरजक
: गवरी बाई
,
संपादक
: मथुरा प्रसाद अग्रवाल
,
प्रकाशक
: साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली
,
संस्करण
: प्रथम